FoSCoS FSSAI RegistrationFoSCoS FSSAI Registration

FSSAI Food Labelling: भारत में, FSSAI खाने के लिए नियम तय करता है. इससे उपभोक्ताओं (ग्राहकों), व्यापारियों, निर्माताओं और निवेशकों को किसी तरह की परेशानी नहीं होती. ये लेख FSSAI के उन जरूरी नियमों के बारे में बताता है, जिनका पालन करना जरूरी है. अगर आप इन नियमों का पालन नहीं करते हैं, तो सरकार जुर्माना लगा सकती है.

दुनिया भर में सरकारी संस्थाएं खाने के लेबल और पैकेजिंग डिजाइन के लिए सख्त नियम बनाती हैं. भारत में, FSSAI वो संस्था है जो खाने के लेबल के नियमों को तय करती है. जब भी कोई नया food product आता है या पैकेजिंग बदली जाती है, तो product बनाने वाली कंपनी को FSSAI के लेबलिंग नियमों का पालन करना होता है.

FSSAI के लेबल नियमों की वजह से गलतियां होने का खतरा रहता है. अगर आपसे अनजाने में कोई गलती हो जाती है, तो जुर्माना, प्रोडक्ट वापसी या प्रोडक्ट लॉन्च में देरी हो सकती है. लेकिन, थोड़ी सी जानकारी से आप अपने प्रोडक्ट को इन सब परेशानियों से बचा सकते हैं.

FSSAI Food Labelling नियम क्या हैं?

FSSAI द्वारा पैकेज्ड खाने के लेबल के लिए जो निर्देश दिए गए हैं, वो हर खाने के निर्माता और ब्रांड के लिए जरूरी नियम हैं. इन नियमों के तहत हर पैकेटबंद खाने की चीज पर लेबल लगाना जरूरी होता है, जिसमें उस खाने की चीज और उसे बनाने वाली कंपनी के बारे में कुछ ज़रूरी जानकारियां बतानी होती हैं. ये जानकारियां कुछ इस तरह से हैं:

  • खाने का नाम (Name of the Food): पैकेट पर साफ-साफ लिखा होना चाहिए कि अंदर क्या है. फोंट भी वही होना चाहिए जैसा कि FSSAI के नियमों में बताया गया है.
  • सामग्री की सूची (The List of Ingredients): पैकेट पर साफ-साफ लिखा होना चाहिए कि इस खाने को बनाने में किन चीजों का इस्तेमाल हुआ है. बनाने वाली कंपनी को सभी सामग्री को ईमानदारी से बताना चाहिए, किसी भी चीज को छिपाना नहीं चाहिए.
  • पोषण संबंधी जानकारी (Nutritional Information): FSSAI के नियमों के अनुसार पैकेट पर खाने में मौजूद कैलोरी की मात्रा के बारे में लिखना जरूरी है. साथ ही ये भी बताना चाहिए कि ट्रांस फैट, सैचुरेटेड फैट, सोडियम, कोलेस्ट्रॉल, आहार फाइबर, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, शुगर, आयरन, कैल्शियम, विटामिन A और विटामिन C की मात्रा कितनी है.
  • शाकाहारी या मांसाहारी (Non-vegetarian or Vegetarian): भारत में कुछ धर्मों के लोग मांसाहारी भोजन को वर्जित मानते हैं. इसलिए, एफएसएसएआई के लेबल नियमों के अनुसार, हर निर्माता को पैकेट पर साफ-साफ लिखना होता है कि खाने की चीज़ में कोई मांसाहारी चीज़ इस्तेमाल हुई है या नहीं. पैकेट के कोने पर एक छोटा सा बिंदी बनाकर बताया जाता है कि वो खाना शाकाहारी है या मांसाहारी. लाल रंग का बिंदी मांसाहारी और हरा रंग का बिंदी शाकाहारी भोजन दर्शाता है.
  • खाद्य योजक (एडिटिव्स) की जानकारी ( Food Additives Used) : खाने में दिखावट और स्वाद बढ़ाने या उसे खराब होने से बचाने के लिए कई तरह के पदार्थ मिलाए जाते हैं. इन्हें फूड एडिटिव्स कहते हैं. पैकेट पर लेबल लगाते समय निर्माता को यह बताना जरूरी है कि उन्होंने किन एडिटिव्स का इस्तेमाल किया है.
  • निर्माता का नाम और पता (Name and Complete Address of the Manufacturer) : लेबल पर साफ-साफ और बड़े अक्षरों में निर्माता का पूरा नाम, पता और बनाने की जगह लिखी होनी चाहिए.
  • ग्राहक सेवा (Customer Care Details): लेबल पर ग्राहक सेवा केंद्र का संपर्क नंबर भी लिखा होना चाहिए. ताकि किसी समस्या होने पर ग्राहक वहां संपर्क कर सकें.
  • मात्रा (Quantity): पैकेट में मौजूद खाने की चीज़ की मात्रा या वजन ग्राम में साफ-साफ लिखा होना चाहिए.
  • फुटकर व्यापारी (Retail Sale Price) : अधिकतम खुदरा बिक्री मूल्य, यानी वो दाम जिस पर दुकान में ये चीज़ बिक रही है, लेबल पर लिखा होना चाहिए.
  • एफएसएसएआई लोगो और लाइसेंस नंबर (FSSAI Logo and License Number): एफएसएसएआई के लेबल नियमों के अनुसार, पैकेट पर एक प्रमुख जगह पर एफएसएसएआई का लोगो और ऑनलाइन फूड लाइसेंस नंबर लिखा होना चाहिए.
  • बैच/कोड/लॉट नंबर (Batch/Code/Lot Number): ये नंबर बताते हैं कि ये उत्पाद किसने बनाया है. इसलिए पैकेट पर इनका ज़रूर होना चाहिए.
  • निर्माण तिथि और सर्वोत्तम इससे पहले/उपयोग की अवधि: ये उपभोक्ताओं के लिए ज़रूरी जानकारी है. इससे उन्हें पता चलता है कि उत्पाद को कब तक इस्तेमाल करना चाहिए. एक्सपायरी डेट के बाद खाने से सेहत खराब हो सकती है.
  • इस्तेमाल करने के निर्देश (User Instructions) : एफएसएसएआई के लेबल नियमों के अनुसार, उत्पाद बनाने वाली कंपनी को पैकेट पर इस्तेमाल करने के तरीके ज़रूर बताने चाहिए.
  • उत्पादन का देश Country of Origin (For Imported Food): एफएसएसएआई के लेबल नियमों के मुताबिक, सभी आयातित Food पदार्थों के पैकेट पर ये बताना ज़रूरी है कि वो किस देश से आए हैं. इससे उपभोक्ताओं को पता चलता है कि ये उत्पाद कहाँ उगाए गए, बनाए गए या तैयार किए गए.
  • एफएसएसएआई लाइसेंस नंबर(FSSAI License Number): पैकेट पर एफएसएसएआई का लोगो और लाइसेंस नंबर साफ दिखना चाहिए. इनको पैकेट के रंग के उलट रंग में छापना चाहिए ताकि आसानी से पढ़ा जा सके.

थोक (Wholesale) पैकेजों के लिए एफएसएसएआई लेबलिंग दिशानिर्देश

इन Rule का पालन करके आप अपने थोक पैकेजों पर एफएसएसएआई लेबलिंग नियमों का पालन सुनिश्चित कर सकते हैं:

  • उत्पाद का नाम: पैकेज पर साफ शब्दों में उत्पाद का नाम लिखें।
  • सामग्री की सूची: पैकेज में एक से अधिक सामग्री होने पर ही सामग्री की सूची लिखें। केवल एक चीज वाले उत्पाद के लिए इसकी जरूरत नहीं है।
  • निर्माता का नाम और पूरा पता: अपना पूरा पता और कंपनी का नाम लिखें।
  • निर्माण तिथि: वह तिथि लिखें जिस दिन उत्पाद बनाया गया था।
  • सर्वोत्तम उपभोग से पहले / उपयोग की तिथि / समाप्ति तिथि: यह बताएं कि उत्पाद को कब तक इस्तेमाल करना सबसे अच्छा है या उसकी समाप्ति तिथि क्या है।
  • शाकाहारी या मांसाहारी चिन्ह: उत्पाद शाकाहारी है या मांसाहारी, यह स्पष्ट रूप से बताएं। इसके लिए आप मानक शाकाहारी या मांसाहारी चिन्ह का उपयोग कर सकते हैं।
  • आयातक का नाम और पता: यदि उत्पाद आयातित है, तो उसका नाम और पूरा पता लिखें।
  • एफएसएसएआई आयातक लाइसेंस नंबर और लोगो: अपना एफएसएसएआई आयातक लाइसेंस नंबर और लोगो जरूर लगाएं।

पैकेज में प्राथमिक Food Product के लिए FSSAI लेबलिंग Rule

इन Rule का पालन करें ताकि पैकेज्ड खाने के लेबल पर ये जरूरी जानकारी हो:

  • खाने का नाम
  • पैक करने वाले का नाम और पूरा पता
  • पैक करने की तारीख
  • आयात करने वाले का नाम और पता
  • पैक का कुल वजन
  • लॉट नंबर/कोड नंबर/बैच नंबर
  • सर्वोत्तम उपभोग मिति/अंतिम उपयोग तिथि/समाप्ति तिथि
  • एफएसएसएआई आयात लाइसेंस नंबर और लोगो

थोक में आयातित (Imported ) प्राथमिक खाद्य पदार्थों के लिए FSSAI लेबलिंग दिशानिर्देश

  • खाने का नाम
  • आयात करने वाले का नाम और पूरा पता
  • पैक का कुल वजन
  • लॉट/कोड/बैच नंबर
  • सर्वोत्तम उपभोग मिति/अंतिम उपयोग तिथि/समाप्ति तिथि

ध्यान दें: प्लास्टिक या जूट की बोरियों या थैलों पर लेबल को इस तरह से लगाना चाहिए कि वो हट न सके

Food Labelling नियमों में छूट

भारत में Food लेबलिंग नियमों को एफएसएसएआई तय करता है, लेकिन कुछ मामलों में छूट भी मिल सकती है. आइए जानते हैं कब लेबल पर पूरी जानकारी देना जरूरी नहीं है:

  • छोटी पैकेजिंग: 100 वर्ग सेंटीमीटर से कम वाली पैकेजिंग पर सारी जानकारी देना जरूरी नहीं है. 30 वर्ग सेंटीमीटर से कम वाली पैकेजिंग के लिए बनाने की तारीख जैसी जानकारी आप थोक के डिब्बों या कई पैकेजों वाले डिब्बे पर दे सकते हैं.
  • दोबारा इस्तेमाल की जाने वाली बोतलें: दोबारा इस्तेमाल की जाने वाली पानी या अन्य तरल पदार्थों की बोतलों पर सामग्री की जानकारी देना जरूरी नहीं है, लेकिन पोषण संबंधी जानकारी देनी होगी.
  • कम समय में खाने वाले खाद्य पदार्थ: जिन खाने का सामान बनाने के 7 दिन के अंदर खा लेना चाहिए, उन पर बनाने की तारीख देने की जरूरत नहीं है, लेकिन “इस तिथि से पहले इस्तेमाल करें” की जानकारी जरूरी है.
  • थोक पैकेजिंग: थोक में बेचे जाने वाले पैकेजों पर सामग्री, बनाने की तारीख, बेस्ट इससे पहले/एक्सपायरी डेट, विकिरणित भोजन का लेबल और शाकाहारी/मांसाहारी का लोगो न देना भी ठीक है.

एफएसएसएआई Approval में देरी: आम गलतियाँ

अपने उत्पादों को एफएसएसएआई की मंजूरी जल्दी मिल सके, इसके लिए इन आम गलतियों से बचें:

  • फॉन्ट का गलत चुनाव: लेबल पर इस्तेमाल होने वाले फॉन्ट का प्रकार या आकार गलत होने पर परेशानी हो सकती है. पैकेजिंग नियमों के मुताबिक, एफएसएसएआई द्वारा तय फॉन्ट के आकार का इस्तेमाल करें.
  • लोगो की गलती: एफएसएसएआई के बताए अनुसार लोगो के आकार और रंग का पालन न करने पर दिक्कत हो सकती है. मांसाहारी सूचक जैसे चिन्हों के लिए दिए गए आकार और रंग निर्देशों का पालन करें.
  • कम दिखने वाला लेबल: पैकेजिंग को अच्छा दिखाते वक्त ये भी ध्यान रखें कि जानकारी साफ पढ़ी जा सके. एफएसएसएआई लोगो और लाइसेंस नंबर को बैकग्राउंड से अलग दिखाने के लिए सही कंट्रास्ट का इस्तेमाल करें.
  • गुमराह करने वाली जानकारी: गलत दावे करने पर सख्त नियम हैं. गुमराह करने वाले लेबल से बचें; उदाहरण के लिए, सोडियम से भरपूर उत्पादों को “हेल्दी” या “पौष्टिक” नहीं कहा जा सकता.
  • पोषण संबंधी जानकारी: पोषण संबंधी जानकारी सिर्फ छोटे अक्षरों में ही नहीं होनी चाहिए. एफएसएआई तय करता है कि पैकेट के सामने वाले हिस्से पर हर पैकेट में कितनी ऊर्जा, कुल वसा, ट्रांस वसा, कुल चीनी और नमक है, ये जानकारी तयशुदा फॉर्मेट में देनी जरूरी है.

छपाई से पहले अपने डिजाइन को नियमों से मिलाकर देखें ताकि एफएसएआई की तरफ से किसी तरह की दिक्कत न आए. पैकेजिंग डिजाइन की प्रक्रिया में आर्टवर्क प्रूफिंग को शामिल करें ताकि स्वीकृति जल्दी मिल सके.

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