Direct Tax And Indirect Tax: कर (Tax): यह एक अनिवार्य खर्च (Obligatory Expense) है जो देश के नागरिकों को केंद्र और राज्य सरकारों (Central and State Governments) को देना होता है। कर (Tax) सरकार की आय का एक बहुत बड़ा स्रोत है जिससे वे देश की अर्थव्यवस्था और बुनियादी ढांचे (Infrastructure) को बेहतर बनाती हैं।
जिम्मेदार नागरिक (Responsible Citizen) होने के नाते आपको कर जरूर देना चाहिए। लेकिन, यह जानना भी बहुत जरूरी है कि भारत में कर व्यवस्था में कितने प्रकार के कर (Tax) लगाए जाते हैं।
Income Tax Notice – कैसे जांचें और प्रमाणित करें?
भारत में करों के प्रकार
भारत में कर व्यवस्था तीन स्तरीय (Three-Tier) होती है: स्थानीय निकाय (Local Municipal Bodies), राज्य सरकारें (State Governments) और केंद्र सरकार (Central Government)। भारत में करों को मुख्य रूप से दो भागों में बांटा जाता है Direct Taxes और Indirect Taxes । आइए, इन दोनों प्रकार के करों को देखें और Direct Tax And Indirect Tax के बीच अंतर को समझें।
Direct Taxes क्या है?
डायरेक्ट टैक्स वो टैक्स है जो आपकी कमाई या मुनाफ़े पर लगता है। जैसे, इनकम टैक्स, प्रॉपर्टी टैक्स, एफबीटी आदि ये टैक्स आपको सीधे तौर पर सरकार को देना पड़ता है, इसे किसी और पे नहीं डाला जा सकता। Central Board of Direct Taxes (सीबीडीटी) यह टैक्स सिस्टम को चलता और मैनेज करता है
Indirect Taxes क्या है?
Indirect Taxes वो टैक्स होता है जो सरकार वस्तुओं और सेवाओं (goods and services) पर लगाती है। इसका मतलब है कि यह टैक्स सीधे तौर पर किसी व्यक्ति की आय (income) पर नहीं लगाया जाता है। इस टैक्स की खासियत यह है कि इसे एक टैक्स देने वाले व्यक्ति से दूसरे टैक्स देने वाले व्यक्ति पर शिफ्ट किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, यह टैक्स होलसेल (wholesaler) रिटेल (retailer) को दे सकता है, और रिटेल यह टैक्स ग्राहकों (customers) को लगा देगा।
इस वजह से, Indirect Taxes का बोझ मुख्य रूप से ग्राहकों (customers) को ही उठाना पड़ता है। भारत में, Central Board of Indirect Taxes and Customs (CBIC) यह Indirect Taxes सिस्टम को चलता और मैनेज करता है
Taxes | ||
Direct Taxes | Indirect Taxes | Other Taxes |
Income Tax | Sales Tax | Property Tax |
Corporate Tax | Service Tax | Registration Fees |
Securities Transaction Tax | Octroi Duty | Toll Tax |
Capital Gains Tax | Custom Duty | Education Cess |
Gift Tax | Value Added Tax (VAT) | Entertainment Tax |
Wealth Tax | Goods & Services Tax (GST) | Professional Tax |
भारत में टैक्स के प्रकार: Direct Tax And Indirect Tax
यहां प्रमुख प्रकार के Indirect Tax की सूची दी गई है:
Goods and Services Tax (GST): यह एक तरह का Indirect Tax है जो विभिन्न सामानों और सेवाओं पर लगता है। इसका एक बड़ा फायदा ये है कि ये पहले लगने वाले कई टैक्सों की झंझट खत्म कर देता है।
Excise Duty: ये कुछ खास तरह के सामान बनाने या बेचने की अनुमति लेने के लिए या फिर उन्हें बनाने पर लगने वाला टैक्स होता है। उदाहरण के लिए, शराब या सिगरेट पर ये टैक्स लग सकता है।
Sales Tax: ये भी एक Indirect Tax है जो दुकानदार सामान बेचते समय ग्राहक से लेता है और फिर सरकार को जमा कर देता है। लेकिन, ये टैक्स किस रेट से लगेगा ये अलग-अलग राज्यों और उनके नियमों पर निर्भर करता था। बिक्री कर के कई प्रकार होते थे, जैसे- उत्पादन करने वाले पर लगने वाला टैक्स, थोक व्यापारी पर लगने वाला टैक्स, इस्तेमाल करने वाले पर लगने वाला टैक्स, वैल्यू एडेड टैक्स और रिटेल पर लगने वाला टैक्स।
बिक्री कर (सेल्स टैक्स) आमतौर पर सरकार के नियमों पर निर्भर करता है. कई तरह के बिक्री कर होते हैं, जैसे कि बनाने वाले पर लगने वाला टैक्स (मैन्युफैक्चरर्स सेल्स टैक्स), थोक व्यापारियों पर लगने वाला टैक्स (होलसेल सेल्स टैक्स), इस्तेमाल के समय लगने वाला टैक्स (यूज टैक्स), सभी चीज़ों पर लगने वाला टैक्स (वैल्यू एडेड टैक्स या वस्तु एवं सेवा कर) और रिटेल दुकानों पर लगने वाला टैक्स (रिटेल सेल्स टैक्स).
पर अब भारत में, ज्यादातर सामानों और सेवाओं पर लगने वाले अलग-अलग तरह के टैक्स (एक्साइज ड्यूटी, सर्विस वैल्यू एडेड टैक्स और वैट) को मिलाकर एक नया टैक्स लागू कर दिया गया है, जिसे जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) कहते हैं.
Direct Tax के प्रकार:
- आयकर (इनकम टैक्स): यह साल भर में हुए मुनाफे और कमाई पर लगने वाला टैक्स है. यह सबसे आम सीधा कर है. जैसा कि नाम से पता चलता है, आयकर केंद्र सरकार द्वारा व्यक्तियों और व्यापारों की एक साल में कमाई पर लगाया जाता है. हालांकि, आपका इनकम टैक्स इस बात पर निर्भर करता है कि आपने अलग-अलग स्रोतों से कितना कमाया है. साथ ही, वित्त वर्ष 2022-2023 के लिए, जिनकी सालाना आमदनी 2.5 लाख रुपये से ज्यादा है, उन पर ही आयकर लगता है.
ध्यान दें: मैंने कॉर्पोरेट टैक्स, वैल्यू एडेड टैक्स और कस्टम ड्यूटी को इस लिस्ट में शामिल नहीं किया है क्योंकि ये सीधे तौर पर करदाता (Taxpayer) द्वारा सरकार को नहीं दिए जाते हैं. ये अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax) की श्रेणी में आते हैं.
Direct Tax के फायदे और नुकसान
Direct Taxes | |
Advantages (फायदे) | Disadvantages ( नुकसान) |
सरकार को सीधे तौर पर पैसा प्राप्त करने में मदद करता है, जिसका उपयोग बुनियादी ढांचा विकास, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं जैसी सार्वजनिक सेवाओं पर किया जाता है. | सीधे तौर पर करदाताओं की जेब से निकलते हैं, जिससे उनकी आय कम हो जाती है. यह गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए बोझ बन सकता है. |
कर चोरी कम हो जाती है क्योंकि करदाता (Taxpayer) की आय का स्पष्ट रिकॉर्ड रखा जाता है. | उच्च Direct tax दरें लोगों को कम निवेश करने के लिए प्रोत्साहित कर सकती हैं, जिससे अर्थव्यवस्था धीमी हो सकती है. |
प्रगतिशील कर प्रणाली (Progressive Tax System) का पालन करते हैं, जिसका मतलब है कि जितनी अधिक कमाई होती है, उतना अधिक कर चुकाना पड़ता है. यह अमीरों और गरीबों के बीच आय असमानता को कम करने में मदद करता है. | आयकर रिटर्न दाखिल करना और कर संबंधी नियमों को समझना एक जटिल प्रक्रिया हो सकती है. |
Indirect Tax के फायदे और नुकसान
Indirect Taxes | |
Advantages (फायदे) | Disadvantages ( नुकसान) |
पैसे का अच्छा स्रोत: Indirect Taxes सरकार के लिए आमदनी का एक अहम जरिया होते हैं. इन पैसों से सरकार स्कूल, अस्पताल और सड़क जैसी चीज़ें बना सकती है. | गरीबों पर ज्यादा बोझ: गरीब लोग अपनी कमाई का ज़्यादा हिस्सा ज़रूरी चीज़ों पर खर्च करते हैं, जिसपर टैक्स लगता है. इसलिए अप्रत्यक्ष कर गरीबों पर ज्यादा असर डालते हैं. |
कर चोरी मुश्किल: ये टैक्स सीधे दुकानों से वसूले जाते हैं, इसलिए कर चोरी करना मुश्किल हो जाता है. | चीज़ें महंगी हो जाती हैं: जब किसी चीज़ पर टैक्स लगता है, तो उसकी कीमत बढ़ जाती है. इससे महंगाई बढ़ सकती है. |
हर किसी से थोड़ा-बहुत: अमीर हो या गरीब, हर कोई जो चीज़ें खरीदता है उस पर थोड़ा बहुत टैक्स चुकाता है. | कुछ चीज़ें कम बिक सकती हैं: ज़्यादा टैक्स लगने से कुछ चीज़ें इतनी महंगी हो जाती हैं कि लोग उन्हें कम खरीदते हैं. इससे अर्थव्यवस्था को नुकसान हो सकता है. |
मुश्किल समय में भी मददगार: मंदी के वक़्त भी जब लोगों की कमाई कम हो जाती है, तब भी जरूरी चीज़ों पर लगने वाला टैक्स सरकार को इनकम देता रहता है. | टैक्स का पूरा पता नहीं चलता: ज्यादातर टैक्स दुकानदार ही जोड़ देते हैं, तो हमें अक्सर ये पता नहीं चलता कि हम असल में कितना टैक्स दे रहे हैं. |
Direct Tax And Indirect Tax के बीच अंतर
कभी सोचा है कि आप जो टैक्स देते हैं वो किस तरह का होता है? तो चलिए Direct Tax And Indirect Tax के अंतर को आसान भाषा में समझते हैं:
- Direct Tax: यह सीधे आपकी जेब से सरकार को जाता है. आपकी कमाई (इनकम) पर लगने वाला इनकम टैक्स इसका सबसे आम उदाहरण है. जितनी ज्यादा कमाई, उतना ज्यादा टैक्स देना पड़ता है. (Progressive Tax System)
- Indirect Tax: यह आप किसी दुकानदार को चीज़ें खरीदते समय देते हैं. दुकानदार फिर सरकार को जमा कर देता है. जी हाँ, वो जो दुकान पर मिलने वाली बिल पर लिखा टैक्स होता है, वही अप्रत्यक्ष कर है. (GST, VAT etc.)
Direct Tax | Indirect tax |
सीधे आपकी कमाई पर लगता है. | Tax on goods or services आप दुकान पर चीज़ें खरीदते समय देते हैं. |
आय के अनुसार टैक्स राशि बदलती है. | हर चीज़ पर समान टैक्स लग सकता है या अलग-अलग भी |
इनकम टैक्स इसका उदाहरण है. | GST, VAT etc. इसके उदाहरण हैं. |
Frequently Asked Questions
खराज किस प्रकार का कर था?
खराज (Kharaj) इस्लामिक कानून के तहत गैर-मुस्लिमों द्वारा दी जाने वाली कृषि भूमि पर लगाया जाने वाला एक तरह का कर था। यह एक नया शब्द हो सकता है जिसे आपने शायद नहीं सुना होगा। इसकी वजह ये है कि 7वीं और 8वीं शताब्दी में, अलाउद्दीन खिलजी ने भारत के उत्तरी भागों में खराज कर 50% तक लगा दिया था। कुल मिलाकर, खराज एक भूमि कर था, और इसकी राशि उपज का एक तिहाई से लेकर आधा तक निर्धारित की जाती थी।
भारत में कौन-कौन से Direct Tax लगते हैं?
आयकर (Income Tax)
कॉर्पोरेट कर (Corporate Tax)
संपत्ति कर (Property Tax)
विरासत कर (Inheritance Tax)
उपहार कर (Gift Tax)
कस्टम ड्यूटी किस प्रकार का कर है?
सीमा शुल्क (Custom Duty) एक प्रकार का अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax) होता है. यह उन सामानों पर लगता है जो भारत से बाहर जाते हैं (export) और उन सभी सामानों पर जो भारत में बाहर से आते हैं (import).
इस कर को लगाने का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भारत में प्रवेश करने वाले प्रत्येक उत्पाद पर कर लगाया जाए. आयातित उत्पादों पर लगाए जाने वाले कर को आयात शुल्क (Import Duty) कहा जाता है. निर्यात किए गए सामानों पर लगने वाले शुल्क को निर्यात शुल्क (Export Duty) कहा जाता है.
भारत में सीमा शुल्क अधिनियम 1962 के अंतर्गत कई प्रकार के सीमा शुल्क लगते हैं, जिनमें शामिल हैं:
रक्षात्मक शुल्क (Protective Duty)
आवश्यक सीमा शुल्क (Essential Custom Duty) (Anti-Dumping Duty) (किन्तुम्नलिखित कर को “अन्टी-डम्पिंग ड्यूटी” के रूप में लिखा जा सकता है)
शिक्षा उपकर (Education Cess) आदि