TDS return status onlineTDS return status online

TDS return status online: टी.डी.एस., या Income पर Tax कटौती, एक प्रक्रिया है जहां Payment करने वाला व्यक्ति आपके भुगतान में से एक निश्चित राशि काट लेता है और उसे भारत की केंद्र सरकार को जमा कर देता है। यह कटौती तभी की जाती है, जब आप कर कटौती के लिए पात्र होते हैं।

सरल शब्दों में कहें, तो मान लीजिए आप एक कंपनी के लिए काम करते हैं और कंपनी आपको वेतन देती है। वेतन देने से पहले, कंपनी आपके वेतन का एक हिस्सा काट लेगी (यह TDS है) और उसे सरकार को जमा कर देगी।

हालाँकि, आपको चिंता करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि आप TDS राशि का दावा कर सकते हैं। ऐसा करने के लिए, आपको अपना आयकर रिटर्न दाखिल करते समय फॉर्म 26AS की जांच करनी होगी, जो यह दर्शाता है कि आपके लिए कितना TDS काटा गया है। आप तब कटौती राशि का दावा कर सकते हैं और अतिरिक्त भुगतान किया गया कोई भी कर वापस प्राप्त कर सकते हैं।

यह लेख आपको अपनी TDS रिटर्न स्थिति को ऑनलाइन जांचने के बारे में मार्गदर्शन करेगा। इसमें यह शामिल होगा कि किस वेबसाइट पर जाना है, कौन से विवरण दर्ज करने हैं और अपनी रिटर्न स्थिति को कैसे समझना है।

Income Tax Notice – कैसे जांचें और प्रमाणित करें?

Table of Contents

आयकर कटौती का स्रोत (Source of Income Tax Deduction)

स्रोत पर काटे गए कर को केंद्र सरकार के खाते में जमा कराना अनिवार्य है. इसे जमा करने के दो तरीके हैं:

इलेक्ट्रॉनिक माध्यम (Electronic Mode):

  • सभी कंपनियां
  • कंपनी के अलावा अन्य सभी करदाता जो आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 44AB के प्रावधानों के अंतर्गत आते हैं, उनके लिए भी अब ई-भुगतान अनिवार्य है (e-Payment is mandatory).

भौतिक माध्यम (Physical Mode):

  • अधिकृत बैंक शाखा में चालान 281 जमा करके

ध्यान दें: अब ज्यादातर मामलों में ई-भुगतान को प्राथमिकता दी जाती है। यह अधिक सुविधाजनक और तेज है।

टीडीएस रिटर्न की स्थिति ऑनलाइन जांचने के लिए ये हैं चरण (TDS return status online)

रिफंड आवेदन करने के बाद, टीडीएस रिफंड स्थिति की जांच करने के लिए नीचे दी गई प्रक्रिया Follow करे

  • चरण 1: ई-फाइलिंग के लिए वेबसाइट पर जाएँ TDS CHECK ONLINE
  • चरण 2: अपने आईडी और पासवर्ड का उपयोग करके लॉगिन करें
  • चरण 3: मेरे खाते के अंतर्गत, रिफंड/डिमांड स्थिति पर क्लिक करें

चरण 4: नीचे दिए गए विवरण आपकी स्क्रीन पर दिखाए जाएँगे

  • मूल्यांकन वर्ष (Assessment year)
  • स्थिति
  • रिफंड की विफलता का कारण (यदि कोई हो)
  • भुगतान का तरीका

टीडीएस चालान स्थिति की जांच करने की प्रक्रिया

टी.डी.एस. चालान स्थिति जांचने की प्रक्रिया (Process to Check the TDS Challan Status in Hindi)

आप दो तरीकों से अपने जमा किए गए टी.डी.एस. चालान की स्थिति की जांच कर सकते हैं:

1. सी.आई.एन. (CIN) के आधार पर:

  • चरण 1: NSDL की वेबसाइट पर जाएं एनएसडीएल वेबसाइट
  • चरण 2: “चालान पहचान संख्या” (Challan Identification Number) यानी सी.आई.एन. CIN चुनें।
  • चरण 3: निम्नलिखित जानकारी दर्ज करें:
    • जमा करने वाली शाखा का बीएसआर कोड (BSR Code of the collecting branch)
    • चालान जमा करने की तिथि (Challan Tender Dt.)
    • अन्य जरूरी जानकारी
  • चरण 4: अब “देखें” (view) विकल्प पर क्लिक करें। जानकारी प्रदर्शित हो जाएगी। आपको निम्नलिखित विवरण प्राप्त हो सकते हैं:
    • बीएसआर कोड
    • चालान की क्रमांक संख्या (Serial number of the challan)
    • पैन/ टैन (PAN/ TAN)
    • करदाता का नाम (Name of the taxpayer)
    • चालान जमा करने की तिथि (Date of Challan deposit)
    • विवरण के साथ प्रमुख शीर्ष कोड (Major Head Code with the description)
    • प्राप्ति की तिथि (Date of receipt)

2. टी.ए.एन. (TAN) के आधार पर:

  • चरण 1: NDSL की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं: एनएसडीएल वेबसाइट
  • चरण 2: “चालान जांच” (Challan Enquiry) विकल्प पर क्लिक करें। टी.ए.एन. आधारित दृश्य चुनें।
  • चरण 3: निम्नलिखित जानकारी दर्ज करें:
    • टी.ए.एन. नंबर
    • जमा करने की तिथि, महीना और वर्ष आपकी स्क्रीन पर निम्नलिखित जानकारी प्रदर्शित होगी:
    • प्रमुख शीर्ष कोड और विवरण (Major Head Code & description)
    • भुगतान की प्रकृति (Nature of the payment)
    • सी.आई.एन. (CIN)
    • उप प्रमुख शीर्ष कोड (Minor Head Code)

महत्वपूर्ण (Important):
जब आप सी.आई.एन. के लिए राशि दर्ज करते हैं, तो सिस्टम स्वचालित रूप से यह जांच लेता है कि दर्ज की गई राशि बैंक शाखा द्वारा अपलोड की गई राशि से मेल खाती है या नहीं। यदि एक सप्ताह से अधिक समय तक कोई रिकॉर्ड नहीं मिलता है, तो आपको उस बैंक शाखा से संपर्क करना चाहिए जहां आपने अपना टी.डी.एस. चालान जमा किया था।

टीडीएस रिटर्न की स्थिति ऑनलाइन जांचने की प्रक्रिया

हर करदाता को वित्तीय वर्ष की प्रत्येक तिमाही (quarter) के दौरान आयकर विभाग को एक टी.डी.एस. रिटर्न दाखिल करना होता है। यह रिटर्न जमा किए गए टी.डी.एस. और आयकर विभाग को भुगतान किए गए कर की जानकारी दिखाता है।

पैन कार्ड का उपयोग करके टीडीएस स्थिति को ट्रैक करने की प्रक्रिया

  • चरण 1: TRACES पोर्टल पर जाएँ
  • चरण 2: सत्यापन/कैप्चा कोड दर्ज करें और आगे बढ़ें पर क्लिक करें
  • चरण 3: निम्नलिखित क्रेडेंशियल दर्ज करें:
    • PAN
    • TAN
    • तिमाही वित्तीय वर्ष (Quarter financial year)
    • रिटर्न प्रकार।
  • चरण 4: गो बटन पर क्लिक करें

 TDS Return Status Statement Online कैसे देखें?

फॉर्म 26AS के माध्यम से टीडीएस स्थिति की जांच निम्नलिखित तरीकों का उपयोग करके की जा सकती है

  • चरण 1: ई-फाइलिंग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएँ
  • चरण 2: यदि आप नए करदाता हैं तो खुद को पंजीकृत करें। यदि पहले से पंजीकृत हैं, तो लॉग इन करने के लिए अपना उपयोगकर्ता आईडी और पासवर्ड दर्ज करें
  • चरण 3: मेरे खाते पर क्लिक करें
  • चरण 4: 26AS से दृश्य चुनें
  • चरण 5: वर्ष और पीडीएफ प्रारूप चुनें
  • चरण 6: फ़ाइल को डाउनलोड करें और अपने सिस्टम में सहेजें

नोट: यह पासवर्ड-संरक्षित फ़ाइल आपकी जन्मतिथि दर्ज करके खोली जा सकती है।

टीडीएस रिटर्न स्टेटमेंट चेक करने का दूसरा तरीका नेट बैंकिंग पोर्टल के ज़रिए है। इसे चेक करने के लिए पैन कार्ड को नेट बैंकिंग पोर्टल से लिंक होना चाहिए।

टीडीएस रिटर्न स्थिति की प्राप्ति में देरी के कारण

कई बार ऐसा होता है कि टीडीएस रिफंड मिलने में देरी हो जाती है, भले ही verification प्रक्रिया पूरी हो चुकी हो। देरी होने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • आपका आयकर रिटर्न अभी प्रक्रियाधीन है (Ongoing processing of the applicant’s Income Tax Return): आयकर विभाग अभी आपका दाखिल किया हुआ इनकम टैक्स रिटर्न जांच रहा है। इस वजह से रिफंड मिलने में देरी हो सकती है।
  • आयकर विभाग द्वारा नोटिस जारी करना (Issuance of a notice by the Income Tax Department regarding the filed ITR): आपके द्वारा दाखिल किए गए रिटर्न में कोई कमी पाए जाने पर या फिर किसी और वजह से आयकर विभाग आपको नोटिस जारी कर सकता है। इस वजह से भी रिफंड मिलने में देरी हो सकती है।
  • आपको कोई रिफंड नहीं मिलना: आपका रिटर्न जांचा जा चुका है और विभाग को यह पता चला है कि आपको कोई रिफंड नहीं मिलना है।
  • आपको टैक्स चुकाना बाकी है : आपके रिटर्न की जांच के बाद विभाग को पता चला है कि आप पर अभी भी टैक्स बकाया है। इसलिए पहले आपका बकाया टैक्स चुकाना होगा, तब जाकर रिफंड मिलेगा।
  • गलत बैंक विवरण (Delays caused by incorrect bank details): आपके द्वारा रिफंड के लिए दी गई बैंक जानकारी गलत होने पर भी रिफंड मिलने में देरी हो सकती है। भले ही आपका रिफंड प्रक्रियाधीन हो और राशि मंजूर भी हो जाए।

अगर रिफंड का स्टेटस “अस्वीकृत” (Rejected) दिखाता है, तो आप रिजेक्शन के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए “टोकन नंबर” पर क्लिक कर सकते हैं। हालाँकि, यह भी जरूरी है कि आप रिफंड में देरी की शिकायत दर्ज कराने की प्रक्रिया से भी अवगत हों।

टीडीएस रिफंड स्थिति – Accepted vs Rejected

टी.डी.एस. रिफंड के लिए आपको दो तरह के स्टेट्स मिल सकते हैं: स्वीकृत (Accepted) और अस्वीकृत (Rejected). आइए जानते हैं हर स्टेटस का क्या मतलब है:

  • स्वीकृत (Accepted): अगर आपका रिफंड स्टेटस “स्वीकृत” दिखाता है, तो इसका मतलब है कि आपका दावा विभाग द्वारा स्वीकार कर लिया गया है। सभी जरूरी जांच-पड़ताल पूरी हो चुकी है और रिफंड राशि आपके बैंक खाते में जमा कर दी जाएगी या आपको चेक के रूप में भेज दी जाएगी।
  • अस्वीकृत (Rejected): अगर आपका रिफंड स्टेटस “अस्वीकृत” दिखाता है, तो इसका मतलब है कि विभाग ने आपके रिफंड का दावा खारिज कर दिया है। ऐसा कई कारणों से हो सकता है, जैसे आपने गलत जानकारी दी है, जमा किए गए दस्तावेजों में विसंगतियां हैं या आपने आयकर नियमों का पालन नहीं किया है। रिफंड अस्वीकृत होने पर, अस्वीकृति के कारणों को जानना और फिर उन कारणों को दूर करने के लिए उचित कदम उठाना या जरूरत पड़ने पर अपील दायर करना जरूरी है।

अपने रिफंड का स्टेटस नियमित रूप से जांचते रहना महत्वपूर्ण है। इससे आप रिफंड प्रक्रिया से अपडेट रहेंगे और दिखाए गए स्टेटस के आधार पर कोई भी आवश्यक कार्रवाई कर सकेंगे।

टीडीएस रिटर्न स्थिति में देरी के खिलाफ शिकायत कैसे दर्ज करें?

गर आपके टी.डी.एस. रिफंड में देरी हो रही है, तो आप शिकायत दर्ज करा सकते हैं। हालांकि, रिफंड राशि प्राप्त करने के लिए आपको कुछ दस्तावेज़ जमा करने होंगे। रिफंड प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए आप आयकर लोकपाल (Income Tax Ombudsman) से संपर्क कर सकते हैं और उन्हें निम्नलिखित जानकारी प्रदान कर सकते हैं:

  • पैन कार्ड (PAN): आयकर विभाग द्वारा आपको दिया गया पहचान नंबर।
  • फॉर्म 16: यह आपके नियोक्ता या जिसने भी टैक्स काटा है, द्वारा दिया गया प्रमाणपत्र है। इसमें आपकी आय पर कटे हुए टीडीएस की जानकारी होती है।
  • बैंक द्वारा जारी टीडीएस प्रमाणपत्र: अगर किसी बैंक ने आपके फिक्स डिपॉजिट पर लगने वाले ब्याज से टीडीएस काटा है, तो उस बैंक से कटाए गए टीडीएस की राशि को दर्शाने वाला प्रमाणपत्र लें।
  • बैंक स्टेटमेंट: अपने बैंक स्टेटमेंट की एक कॉपी जिसमें टीडीएस और रिफंड से जुड़े लेन-देन की जानकारी हो।
  • निवेश और आय के दस्तावेज: आपके द्वारा किए गए निवेश और वित्तीय वर्ष के दौरान अर्जित आय को साबित करने वाले किसी भी सहायक दस्तावेज जमा करें।

इन दस्तावेजों को जमा करने और आयकर लोकपाल से संपर्क करने पर, आपको अपने टी.डी.एस. रिफंड में देरी से जुड़ी किसी भी समस्या का समाधान मिल सकता है।

Steps to Apply for TDS Refund Reissue

अपनी टी.डी.एस. रिफंड राशि को दोबारा जारी करने के लिए आप आयकर विभाग के ऑनलाइन पोर्टल के जरिए आवेदन कर सकते हैं. यहां विस्तृत प्रक्रिया है:

  • चरण 1: आयकर विभाग के आधिकारिक वेब पोर्टल पर जाएं। (https://www.incometax.gov.in/iec/foportal/)
  • चरण 2: अपने पैन (PAN) विवरण और पासवर्ड का उपयोग करके अपने ई-फाइलिंग खाते में लॉग इन करें।
  • चरण 3: ‘मेरा खाता’ (My Account) टैब पर क्लिक करें।
  • चरण 4: ‘मेरा खाता’ (My Account) के अंतर्गत ड्रॉप-डाउन मेन्यू से ‘सेवा अनुरोध’ (Service Request) चुनें।
  • चरण 5: ‘अनुरोध प्रकार’ (Request Type) अनुभाग में, ‘नया अनुरोध’ (New Request) चुनें।
  • चरण 6: ‘अनुरोध श्रेणी’ (Request Category) अनुभाग पर जाएं।
  • चरण 7: ‘रिफंड पुनः जारी करने’ (Refund Reissue) के विकल्प का चयन करें।
  • चरण 8: ‘जमा करें’ (Submit) बटन पर क्लिक करें।
  • चरण 9: आवश्यक विवरण प्रदान करें जैसे आपका खाता नंबर, आईएफएससी कोड (IFSC code), और खाता प्रकार।
  • चरण 10: ‘जमा करें’ (Submit) पर क्लिक करें।
  • चरण 11: आधार ओटीपी (Aadhaar OTP) या ईवीसी (इलेक्ट्रॉनिक सत्यापन कोड) (Electronic Verification Code) का उपयोग करके टी.डी.एस. रिफंड पुनः जारी करने के अनुरोध को प्रमाणित करें।
  • चरण 12: अनुरोध को अंतिम रूप देने के लिए ‘जमा करें’ (Submit) पर क्लिक करें।

इन चरणों का पालन करके और आवश्यक विवरण और प्रमाणीकरण पूरा करके, आप आयकर विभाग के ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से टी.डी.एस. रिफंड पुनः जारी करने का अनुरोध कर सकते हैं।

आयकर रिफंड स्थिति के विभिन्न प्रकार क्या हैं?

रिफंड की स्थिति जांचते समय, स्क्रीन पर अलग-अलग संदेश दिखाई दे सकते हैं. दी गई जानकारी को सही ढंग से समझने के लिए इन संदेशों को समझना महत्वपूर्ण है। विभिन्न स्थिति संदेश और उनके अर्थ यहां दिए गए हैं:

  • रिटर्न जमा किया (Return Submitted): यह दर्शाता है कि आपका आयकर रिटर्न सफलतापूर्वक संबंधित विभाग को जमा कर दिया गया है।
  • रिटर्न सत्यापित (Return Verified): आयकर विभाग ने आपके द्वारा अतिरिक्त भुगतान किए गए कर के लिए रिटर्न को सत्यापित और स्वीकृत कर लिया है।
  • रिफंड स्वीकृत (Refund Approved): यह बताता है कि विभाग ने रिफंड को मंजूरी दे दी है, जो आपके निर्दिष्ट बैंक खाते में जमा कर दिया जाएगा या आपको चेक जारी किया जा सकता है।
  • रिफंड भेजा गया (Refund Sent): ‘रिफंड भेजा गया’ इंगित करता है कि रिफंड को सफलतापूर्वक संसाधित किया गया है और आपके बैंक खाते में भेज दिया गया है।
  • रिफंड असफल (Refund Failed): यदि स्थिति ‘रिफंड असफल’ दिखाती है, तो इसका मतलब है कि आयकर रिफंड के प्रसंस्करण के दौरान कोई त्रुटि हुई। रिफंड को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए इसे हल करने की आवश्यकता है।
  • रिफंड रद्द (Refund Cancelled): यह दर्शाता है कि रिफंड अनुरोध अस्वीकृत कर दिया गया है। ऐसा कई कारणों से हो सकता है, जैसे गलत बैंक विवरण या अन्य प्रासंगिक समस्याएं।
  • कोई मांग नहीं, कोई रिफंड नहीं (No Demand, No Refund): यह स्थिति बताती है कि चालू निर्धारण वर्ष के लिए कोई रिफंड देय नहीं है, और आपके पैन के खिलाफ कोई बकाया मांग नहीं है।

यदि आपने आयकर रिफंड का अनुरोध दाखिल किया है, तो नवीनतम जानकारी से अपडेट रहने के लिए वेबसाइट पर नियमित रूप से जाना और स्थिति की जांच करना उचित है।

How to Pay Income Tax Refund via Direct Credit and Cheque?

आयकर रिफंड आपको दो तरीकों से मिल सकता है: सीधे बैंक खाते में जमा (direct credit) या चेक के रूप में।

  • सीधे बैंक खाते में जमा (Direct Credit): यह रिफंड पाने का एक तेज़ और सुविधाजनक तरीका है। इसका लाभ उठाने के लिए, आपको कर दाखिल करने की प्रक्रिया के दौरान सही बैंक विवरण प्रदान करने की आवश्यकता होती है। रिफंड राशि सीधे आपके बैंक खाते में RTGS या NEFT के माध्यम से जमा कर दी जाएगी। यह एक स्वचालित प्रक्रिया है, और रिफंड निर्धारित समय के भीतर आपके खाते में दिखाई दे जाएगा। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि आपने प्रक्रिया में किसी भी देरी या त्रुटि से बचने के लिए सही बैंक विवरण प्रदान किए हैं।
  • चेक भुगतान (Cheque Payment): यदि आपने टैक्स रिटर्न दाखिल करते समय बैंक विवरण प्रदान नहीं किया है, तो कर विभाग आमतौर पर रिफंड चेक जारी करता है। चेक आयकर विभाग के पास दर्ज पते पर भेजा जाएगा। सीधे बैंक खाते में जमा करने के विपरीत, यह प्रक्रिया स्वचालित नहीं है। रिफंड प्राप्त करने के लिए, आपको चेक को अपने बैंक खाते में जमा करना होगा। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि इस प्रक्रिया के दौरान किसी भी जटिलता से बचने के लिए आपका पता आयकर विभाग के रिकॉर्ड में सटीक रूप से अद्यतन हो।

रिफंड भुगतान के दोनों तरीकों के अपने-अपने विचार और आवश्यकताएं होती हैं। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि आप सटीक जानकारी प्रदान करें और अपने रिकॉर्ड को अद्यतन रखें ताकि रिफंड प्रक्रिया सुचारू और समयबद्ध हो।

टी.डी.एस. रिफंड कैसे मिलता है?

आपके वास्तविक कर देनदारी से जितना टैक्स कट जाता है (Tax Deducted at Source – TDS), उसे वापस पाने के लिए आयकर विभाग से टी.डी.एस. रिफंड प्राप्त करने की प्रक्रिया में कुछ रणनीति शामिल होती है। रिफंड कैसे जारी किया जाता है और आपको क्या करने की ज़रूरत है, इस बारे में चरण-दर-चरण मार्गदर्शिका यहां दी गई है:

ज़्यादा टी.डी.एस. कटौती से बचना (Avoiding Excessive TDS Deduction):

  • अगर आपकी कंपनी आपके वास्तविक कर योग्य आय से ज़्यादा टैक्स काटती है, खासकर जब आपकी कर योग्य आय मूलभूत छूट सीमा (basic exemption limit) से कम है, तो आपके पास वेतन से कटने वाले टीडीएस को रोकने का विकल्प है।
  • धारा 197 के तहत फॉर्म 13 का उपयोग करके कम या कोई नहीं टी.डी.एस. प्रमाणपत्र (lower or Nil TDS certificate) प्राप्त करने के लिए आवेदन करके ऐसा किया जा सकता है।
  • इस प्रक्रिया को शुरू करने के लिए, आपको अपने क्षेत्राधिकार के आयकर अधिकारी (Income Tax Officer) से संपर्क करना होगा और फॉर्म 13 जमा करना होगा, जिसमें आपकी आय और कम कटौती के कारणों का विवरण देना होगा।
  • एक बार धारा 197 के तहत शून्य कटौती का आदेश पारित हो जाने के बाद, आप इसे अपने टीडीएस कटौती करने वाले (TDS deductor) को जमा कर सकते हैं, जिससे यह सुनिश्चित हो जाएगा कि आपकी वास्तविक कर देयता के अनुसार ही सही टी.डी.एस. कटौती हो।

टी.डी.एस. रिफंड के लिए आय और करों की गणना (Calculating Income and Taxes for TDS Refund):

  • जब वास्तविक देय कर कटौती किए गए टीडीएस के साथ मेल नहीं खाता है, तो अगला कदम आपकी कर योग्य आय और करों की गणना करना है। इसके लिए आपको अपनी आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करनी होगी, जहां आप टी.डी.एस. रिफंड का दावा कर सकते हैं।
  • ऑनलाइन आईटीआर दाखिल करने की प्रक्रिया के दौरान, आपको अपने बैंक का नाम और आईएफएससी कोड सहित आवश्यक विवरण प्रदान करने के लिए कहा जाएगा। यह जानकारी आयकर विभाग के लिए अतिरिक्त कर का भुगतान आसानी से संसाधित करने और वापस करने के लिए महत्वपूर्ण है।
  • टी.डी.एस. रिफंड जारी करने में तेजी लाने के लिए इन विवरणों को प्रदान करते समय सटीकता सुनिश्चित करें। आयकर विभाग आपके बैंक खाते में सीधे धनराशि स्थानांतरित करने के लिए आपकी बैंक जानकारी पर निर्भर करता है।

कर-मुक्त ब्याज आय के लिए फॉर्म 15G का उपयोग करना (Utilising Form 15G for Tax-Free Interest Income):

  • जब आपकी कर योग्य आय मूलभूत छूट सीमा से कम है, तो सक्रिय कदम उठाकर आप अपनी सावधि जमा ब्याज पर अनावश्यक टी.डी.एस. कटौती से बच सकते हैं। वित्तीय वर्ष की शुरुआत में, अपने बैंक को फॉर्म 15G में एक घोषणा जमा करें, उन्हें सूचित करें कि आपकी आय कर योग्य नहीं है। यह फॉर्म बैंक को यह बताने के लिए एक मूल्यवान उपकरण के रूप में कार्य करता है कि आपकी ब्याज आय पर कोई कर (टी.डी.एस.) नहीं काटा जाना चाहिए।

फॉर्म 15G जमा करने के बाद भी टी.डी.एस. कटौती (TDS Deduction after Submitting Form 15G):

  • कभी-कभी, फॉर्म 15G जमा करने के बावजूद, आपका बैंक आपकी ब्याज आय पर टैक्स (TDS) काट सकता है। ऐसी स्थिति में परेशान न हों, इसे ठीक करने का तरीका है।
  • इसे ठीक करने के लिए, आप अपनी आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करते समय रिफंड का दावा कर सकते हैं। अपने आईटीआर में सावधि जमा ब्याज आय और बैंक द्वारा की गई टी.डी.एस. कटौती का विवरण स्पष्ट रूप से दें।
  • आयकर रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया इस विसंगति को दूर करने में मदद करती है और यह सुनिश्चित करती है कि आपको अतिरिक्त कटौती किए गए टी.डी.एस. का सही रिफंड मिले।

वरिष्ठ नागरिकों के लिए टी.डी.एस. छूट (TDS Exemption for Senior Citizens):

  • वरिष्ठ नागरिकों को बैंक जमा पर मिलने वाले ब्याज पर लगने वाले टीडीएस पर काफी फायदा मिलता है। 60 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों को बैंक जमा से अर्जित ब्याज पर लगने वाले टीडीएस से छूट मिलती है।
  • हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह छूट तभी लागू होती है जब प्रत्येक बैंक से मिलने वाला ब्याज सालाना ₹ 50,000 से अधिक न हो। यह सुनिश्चित करता है कि वरिष्ठ नागरिक टीडीएस कटौती की चिंता किए बिना अपने लाभ को अधिकतम कर सकें।

कर बचत के लिए फॉर्म 15H का उपयोग (Using Form 15H for Tax Efficiency):

  • यदि आपकी ब्याज आय ₹ 50,000 की सीमा पार कर जाती है, लेकिन धारा 80 के अंतर्गत कटौती के बाद भी आपकी कुल आय मूलभूत छूट सीमा से कम है, तो आपके पास कर बचत का एक अतिरिक्त तरीका है। वित्तीय वर्ष की शुरुआत में, अपने बैंक को फॉर्म 15H जमा करें। यह फॉर्म बैंक को यह सूचित करने के लिए एक घोषणा के रूप में कार्य करता है कि आपकी कोई कर योग्य आय नहीं है, जो आपको टीडीएस छूट के लिए पात्र बनाता है।

आईटीआर के माध्यम से रिफंड का दावा (Claiming Refund through ITR):

  • अगर फॉर्म 15H जमा करने के बावजूद भी आपका बैंक आपकी सावधि जमा ब्याज पर टीडीएस काट लेता है, तो निराश न हों। आप अपनी आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करके इसे ठीक कर सकते हैं। अपने आईटीआर में सावधि जमा ब्याज आय और बैंक द्वारा की गई टी.डी.एस. कटौती का विवरण स्पष्ट रूप से दें। यह चरण सुनिश्चित करता है कि आपको कटौती किए गए किसी भी अतिरिक्त टी.डी.एस. का सही रिफंड प्राप्त हो।

ऑनलाइन टी.डी.एस. रिफंड का दावा कैसे करें?

चरण 1: आयकर विभाग की वेबसाइट पर रजिस्टर करें (Register on IT Department’s Website):

  • सबसे पहले आयकर विभाग की आधिकारिक वेबसाइट https://incometaxindiaefiling.gov.in/ पर रजिस्टर करें। अपने खाते तक आसानी से पहुंचने के लिए सही जानकारी दर्ज करें।

चरण 2: संबंधित आईटीआर फॉर्म डाउनलोड करें (Download Relevant ITR Form):

  • रजिस्टर करने के बाद, अपनी वित्तीय स्थिति के अनुसार उपयुक्त आयकर रिटर्न (आईटीआर) फॉर्म डाउनलोड करें। उस फॉर्म का चयन करें जो आपके आय स्रोतों और वित्तीय गतिविधियों से मेल खाता हो।

चरण 3: फॉर्म भरें और अपलोड करें (Complete Form and Upload):

  • डाउनलोड किए गए आईटीआर फॉर्म में सभी आवश्यक विवरण भरें। एक बार पूरा हो जाने के बाद, फॉर्म को पोर्टल पर अपलोड करें। यह सुनिश्चित कर लें कि दी गई जानकारी सही है ताकि फाइलिंग प्रक्रिया सुचारू रूप से हो सके।

चरण 4: जमा करें और पावती प्राप्त करें (Submit and Generate Acknowledgement):

  • अपलोड करने के बाद, आईटीआर फॉर्म जमा करें। सिस्टम जमा किए गए आईटीआर के लिए एक पावती (acknowledgement) तैयार करेगा। अगले चरणों के लिए इस पावती को संभाल कर रखें।

चरण 5: आईटीआर को ई-वेरिफाई करें (E-Verify the ITR):

  • उपलब्ध तरीकों में से किसी एक का उपयोग करके आईटीआर को ई-वेरिफाई करें – डिजिटल हस्ताक्षर, आधार आधारित ओटीपी, या अपने नेट बैंकिंग खाते के माध्यम से। यह दाखिल किए गए रिटर्न को प्रमाणित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम है।

चरण 6: वैकल्पिक सत्यापन विधि (Alternative Verification Method):

  • यदि ई- सत्यापन संभव नहीं है, तो आईटीआर की एक हस्ताक्षरित भौतिक प्रति आयकर विभाग को भेजें। सफल सत्यापन के लिए सुनिश्चित करें कि भौतिक प्रति निर्धारित समय के भीतर विभाग तक पहुंच जाए।

टी.डी.एस. रिफंड मिलने में देरी होने के कारण (Reasons for Delay in TDS Refund):

आपका टी.डी.एस. रिफंड मिलने में देरी कई कारणों से हो सकती है। नीचे कुछ सामान्य कारण बताए गए हैं जिनके बारे में आपको जानकारी होनी चाहिए:

  • गलत बैंक विवरण (Incorrect Bank Details): अगर आप गलत बैंक विवरण देते हैं, जैसे कि गलत IFSC कोड, खाता संख्या या कोई अन्य जानकारी, तो इससे टी.डी.एस. रिफंड मिलने में देरी हो सकती है। सभी प्रविष्टियों को दोबारा जांचना और सही रिपोर्टिंग सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है।
  • टी.डी.एस. विवरणों में विसंगतियां (Discrepancies in TDS Details): यदि आपके आयकर रिटर्न में बताए गए टीडीएस विवरण और कटौती करने वाले द्वारा जमा किए गए विवरणों में कोई अंतर है, तो इससे प्रक्रिया में देरी हो सकती है और रिफंड मिलने में देरी हो सकती है।
  • सत्यापन प्रक्रिया (Verification Process): आयकर विभाग आमतौर पर टी.डी.एस. रिफंड दावों की सटीकता सुनिश्चित करने के लिए सत्यापन प्रक्रिया करता है। इस सत्यापन प्रक्रिया में कुछ समय लग सकता है, जिससे रिफंड प्रक्रिया में देरी हो जाती है।
  • कर रिटर्न दाखिल न करना (Non-Filing of Tax Return): संबंधित निर्धारण वर्ष के लिए आयकर रिटर्न सही ढंग से दाखिल न करने से टी.डी.एस. के प्रसंस्करण और रिफंड में देरी हो सकती है।
  • तकनीकी समस्याएं (Technical Issues): आयकर विभाग में तकनीकी गड़बड़ी या सिस्टम की समस्याओं के कारण रिफंड प्रक्रिया में देरी हो सकती है। कुछ मामलों में, सर्वर डाउनटाइम भी देरी का कारण बन सकता है।
  • टी.डी.एस. प्रमाणपत्र जमा न करना (Non-Submission of TDS Certificates): यदि कटौती करने वाला टीडीएस प्रमाणपत्र कर विभाग को जमा करने में विफल रहता है, तो भी टी.डी.एस. रिफंड में देरी हो सकती है। इससे पूरी प्रक्रिया में देरी हो सकती है।

टी.डी.एस. रिफंड प्रक्रिया के दौरान आने वाली किसी भी समस्या को समझने और उसका समाधान करने के लिए इन संभावित कारणों से अवगत होना महत्वपूर्ण है।

How to Raise a Complaint Against Delay in TDS Return Status?

  • आयकर विभाग की आधिकारिक ई-फाइलिंग वेबसाइट पर जाएँ।
  • अपने आईडी और पासवर्ड का उपयोग करके अपने खाते में लॉग इन करें।
  • डैशबोर्ड पर जाएँ और “मेरा खाता” विकल्प खोजें।
  • उपलब्ध विकल्पों में से “सेवा अनुरोध” पर क्लिक करें।
  • “नया अनुरोध” विकल्प चुनें।
  • “टीडीएस रिफंड” श्रेणी चुनें और सभी अनुरोधित विवरण प्रदान करें।
  • रिफंड में देरी का वैध कारण स्पष्ट रूप से बताएँ।
  • सबमिशन प्रक्रिया पूरी करें।

Conclusion

इस आलेख को पढ़कर उम्मीद है कि आपको अब “टी.डी.एस. रिफंड स्टेटस कैसे पता करें” के बारे में जानकारी मिल गई होगी। अब हम जानते हैं कि TDS का उद्देश्य योग्य करदाताओं से आय के स्रोत पर ही कर जमा करना है। साथ ही, व्यक्ति को कटौती करने वाले द्वारा जारी किए गए टीडीएस प्रमाणपत्र के आधार पर राशि प्राप्त करने का हकदार है।

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